Wednesday, May 12, 2010

हमारी टीचर इंदिरा [ स्कूल के दिन ]

स्कूल के दिन अक्सर सुहाने होते है, उनसे जूडी यादें कभी नहीं भुलाई जाती । एक ऐसा ही स्कूल के दिनों से जूडा किस्सा है । इस किस्से की मुख्य पात्र हमारी अंग्रेजी की टीचर इंदिरा जी है ।
विवरण :
उम्र :३५ से ४० के बीच ।
रंग : गेहूँआ।
कद: सामान्य
अधिक विवरण :
आँखों पर मोटी फ्रेम का चश्मा, ठुड्डी पर एक कला मस्सा, चोटी बालों की ढीली गुथी हुई जिस पर कभी-कभार फूल लगा होता था । चेहरे के भाव गंभीर मुस्कान भूले -भटके ही उनके होठों पर आया करती थी। पहरावा सादा हलके रंगों की साडी पहना करती थी।
तीसरा पीरियड अंग्रेजी का होता था । जब पहली बार टीचर कक्षा मे आई तो हम सब विद्यार्थियों के साथ उनका व्यहवार सामान्य था । उन्होंने अंग्रेजी की क्लास ली और चली गयी । कुछ समय तक सब ठीक चला । पर अचानक एक दिन .....
हम ने देखा टीचर ने जैसे ही कक्षा मे प्रवेश किया उनका मूड पूरी तरह से बदला हुआ था बेहद गुस्से मे थी । क्लास मे आते ही उन्होंने जो हमारी क्लास ली इतना लताड़ा हमको क्या बताये । सभी विद्यार्थी हक्के -बक्के से खड़े थे, एक दुसरे का मूंह ताक रहे थे । मैं सबसे आगे की बेंच पर बैठा करती थी तो और ज्यादा टीचर की नज़रों के सामने थी । ४५ मिनेट के पीरियड मे २० से २५ मिनेट तो डाटने में ही निकाल दिए । हमने सोचा शायद कोई वजह रही होगी।
आप लोग सोच रहे होंगे,टीचर का हक़ होता है अपने विद्यार्थियों की गलतियों को सुधारना , यह बात मैं भी मानती हूँ । लेकिन आप लोग बताइये, यह क्रम लगातार लम्बे समय तक चलता रहे तो क्या हो । हमेशा उनके लेक्चर मे यह शब्द बार बार दोहराए जाते थे जैसे की "यह कक्षा मे बिलकुल भी अनुशाशन नहीं है, तुमसे अच्छे तो छोटी क्लास के स्टुडेंट्स होते है, तुमसे कुछ भी कहना सर फोड़ने के बराबर है, अगर गेंद को दीवार पर फेंको तो हमारी तरफ ही पलट कर आती है .......... इत्यादि ... इत्यादि ....इत्यादि ।
मुझे समझ ही नहीं आता था कारण । जैसे ही सेकेण्ड पीरियड समाप्त होने की घंटी बजती थी । मेरे हाथ कांपने लगते थे आज जाने क्या हो ....
मैं अक्सर सोचा करती थी टीचर की नाराजगी की वजह। किस स्टुडेंट की वजह से उनका पारा चढ़ता था, कौन है वो स्टुडेंट ? थोड़े समय बाद टीचर का दूसरी स्कूल मे तबादला हो गया । हम स्टुडेंट्स के लिए और इंदिरा टीचर दोनों के लिए राहत की बात थी ।
लेकिन टीचर की नाराजगी की वजह आज भी मेरे लिए कभी न सुलझाने वाली एक पहेली है ।

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!

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